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Saturday, May 1, 2021

एक चित्र प्रदर्शनी ऐसी भी

**अविस्मरणीय 
जब निराला आर्ट गैलरी में लगी 
अजय जेटली की चित्र प्रदर्शनी 
काव्य चित्र सप्तक 

यह सन 2001 की बात है , इलाहाबाद विश्वविद्यालय की निराला आर्ट गैलरी में सुप्रसिद्ध चित्रकार अजय जेटली की -काव्य चित्र सप्तक- प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। सुखद और गर्व की बात है कि इस मौके पर कुलाधिपति महामहिम प्रोफेसर विष्णुकांत शास्त्री ने इस विशेष काव्य चित्र सप्तक प्रदर्शनी का सभी औपचारिकताओं के साथ उद्घाटन किया । काव्य चित्र सप्तक प्रदर्शनी में हिंदी साहित्य के उन कवियों की कविताओं को अजय जेटली  द्वारा बनाए गए चित्रों के साथ  प्रदर्शित किया गया जिनका इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र होने के अलावा हिंदी साहित्य में भी कमोबेश एक मुकाम बन चुका था । इस प्रदर्शनी का उद्देश्य था कि छात्रों को यह बताया जा सके कि महादेवी ,पंत , बच्चन, शमशेर और भारती भी किसी समय उन्हीं की तरह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के  छात्र रह चुके  थे और साहित्य में प्रतिष्ठा अर्जित कर चुके थे । महादेवी और शमशेर तो चित्रकार भी थे , नरेश मेहता और निराला जी के लिए भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रेरणा का स्रोत रहा है।
      गौरतलब है कि प्रदर्शनी में जिन कविताओं का चयन किया गया , वे कविताएं ज्वलंत सवालों , सरोकारों और मानवीय चिंताओं को चित्र के साथ व्यक्त करती थीं ।इन कविताओं में मुक्ति की आकांक्षा , मूलहीनता की चिंता, देश के उचित विकास के विरोधियों और राजनीतिज्ञों तथा पूंजी पतियों पर व्यंग , आत्म परिहास , दुख और पीड़ा के कारणों का निदान,  आपातकाल का विरोध , मनुष्य और इतिहास से कटने की दयनीयता और दयनीयता का विरोध अजय जेटली ने कविताओं को गहराई में जाकर समझते हुए चित्र अंकित किया था। मुझे इस बात का गर्व है कि इस प्रदर्शनी में मेरी भी एक कविता पर अजय जेटली ने चित्रांकन किया था। यह प्रदर्शनी 14 सितंबर से 20 सितंबर 2001 तक लगातार निराला आर्ट गैलरी में और उसके परिसर में लगी रही , जिसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय और इलाहाबाद शहर के तमाम साहित्यकारों , कलाकारों और रंगकर्मियों ने देखा और सराहा था ।
इस अवसर पर उद्घाटन के बाद प्रोफेसर विष्णुकांत शास्त्री जी ने कहा था कि इस तरह के प्रयोग इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ही किया जाना संभव है , यहां के छात्र नए का सम्मान करना जानते हैं और जो चीजें समाज उपयोगी नहीं होती , उन्हें हाशिए पर डालने में भी छात्रों को कोई वक्त नहीं लगता । इलाहाबाद हमेशा से एक प्रयोगधर्मी शहर रहा है और यहां होने वाले प्रयोगों पर पूरी दुनिया की नजर रही है । इस अवसर पर डेलीगेसी के उपाध्यक्ष प्रोफेसर जीके राय भी उपस्थित रहे । यह प्रदर्शनी इसलिए भी मील का पत्थर कही जा सकती है क्योंकि इसके बाद निराला आर्ट गैलरी में चित्र प्रदर्शनी का तांता लग गया था और छात्रों में चित्रकला के प्रति अतिरिक्त उत्साह दिखाई दे रहा था। बहुत दिन हो गए हैं इस आयोजन को लेकिन इसकी स्मृतियां आज भी हम छात्रों के मस्तिष्क में बनी हुई है।
**अजामिल

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