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Wednesday, April 28, 2021

रोबोट - एक खुराफात बहु उपयोगी /अजामिल

आलेख
रोबोट एक खुराफात बहुउपयोगी रोबोट बच्चे नही पैदा नही कर सकते---

मशीनी गुलामों की फौज खड़ी करने की कल्पना इंसान के खुराफाती दिमाग में कब आई इसका कोई पुख्ता सुबह तो नहीं मिलता लेकिन इतिहास खंगालने वालों का मानना है की  270 बीसी में सेसिबस नामक एक ग्रीक इंजीनियर ने एक घड़ी और कुछ ऐसे उपकरण बनाये थे, जिन्हें एक बार चला देने के बाद वे कई कई दिनों तक क्रियाशील रहते थे ।सन 1018 में मेरिशेली ने जब फ्रेंकस्टाइन नामक पुस्तक लिखितब उसने पहली बार एक नकली जीवन्त मनुष्य की कल्पना को नायक बनाकर पेश किया। सन 1921 में चेक लेखक केरेल केपेक ने अपने नाटक आर यू आर में पहली बार रोबोट शब्द का प्रयोग किया।सन 1942 में मशहूर विज्ञान लेखक ओसिमोफ ने रोबोटिक्स इंजीनियरींग की चर्चा करते हुए बताया कि आने वाले  समय में एक  पूरी रोबोट इंडस्ट्रीअपनी ढेर सारी योजना परियोजना के विश्व पटल पर उभर कर आएगी।सन 1941 में नाबर्ट वैंरके शोधपत्र साइब्रानीटिक्स के प्रकाशित होने के बाद ब्रिटिश रोबोटिक्स के मास्टरमाइड विलियम ग्रे वाल्टर ने एल्गर और एलसी नाम के दो रोबोट का आविष्कार किया। जार्ज डिवो और इंगले बर्गर ने रोबॉटके लिए पहली बार ऐसी योजना। तैयार किजिन्हें प्रोग्राम करके फहली बार यूनिवर्सल आटोमेशन आर्म क्रेज़ की तरह इस्तेमाल किया जा सकता था। गौरतलब है कि जार्ज डिवो और जॉय इंगले बर्गर ने पहली रोबोट कम्पनी बनाई और सन 1961 में न्यूजर्सी के जनरल मोटर्स के ऑटोमोबाइल फैक्टरी में यूनीमेट नाम का इंडस्ट्रियल रोबोट ऑनलाइन दिखाया गया।सन 1963 में कम्प्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोटिक आर्म का जब  प्रदर्शन हुआ तब इस क्षेत्र में पूरी दुनिया के इंजीनियर्स को इसमें अनन्त सम्भावनाएं दिखाई देने लगी। सन्न 1970 में शेके नामक पहला मोबाइल। रोबोट बाज़ार में लांच किया गया इसके बाद खलबली मच गई। धर्म ,समाज, अर्थशास्त्र और विज्ञान की दुनिया के लोग चौकन्ने हो गए। कुछ ने कहा *वाह* तो कुछ ने कहा *आह*।
            सहमति- असहमति के साथ दुनिया के कार्य व्यापार में बिना किसी भावना और संवेदना के सक्रिय हजारों- हजार बेहतरीन रोबोटों की विकासयात्रा कितनी ही हलचल पूर्ण क्यों न रही हो , लेकिन आज मानव जीवन का कोई ऐसा कार्य नहीं है जिसे रोबोट पूरी शिद्दत से पूरा न कर रहे हो - सिवा बच्चे पैदा करने के । बनाने वालों ने आवश्यकतानुसार रोबोटों को मानव आकृति भी दी है और कहीं- कहीं रोबोटिक अंगों का दूसरी मशीनों में बड़ी खूबसूरती से प्रत्यारोपण भी कर दिया गया है । आज रोबोटिक्स रोबोट से संबंधित एक महत्वपूर्ण विज्ञान और टेक्नोलॉजी दुनिया के सामने है । पूरी दुनिया में कंपनियां रोबोट बनाकर मशीनी गुलामों की एक ऐसी नस्ल तैयार कर रही है जिसे इंसान का हुक्म मानने और उसे अमल करने के लिए डिजाइन किया गया है। कुछ रोबोट तो अपनी कार्यक्षमता के चलते इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि मनुष्य ने उन्हें अपने सबसे वफादार दोस्तों की फेहरिस्त में खड़ा कर दिया है ।
        रोबोट क्या होता है इसे जानना काफी रोचक है यह सच है कि रोबोट की संरचना खाई नहीं मैटिक चेन पर आधारित होती है रोबोट मैकेनिक कल होता है इन्हें कितनी भी खूबसूरत क्यों न दे दी जाए यह देखने में मांसल  हीन एक कंकाल ही दिखाई देते हैं इनके पूरे शरीर में इस तरह से मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक कल डिवाइस का जाल बिछाए जाता है कि इनका हर अंग विशेष सिग्नल मिलने पर गतिमान हो जाता है यह सिग्नल प्रकाश अथवा ध्वनि अथवा तरह-तरह के तापक्रम से संचालित होते हैं पहला रोबोट बनने के बाद रोबोट इंजीनियर ने तीन बातों पर जोर देकर कहा था कि कोई भी रोबोट कभी भी किसी मानव को नुकसान नहीं पहुंचाता दूसरा यह आवश्यकता को समझ कर निर्णय लेने और मालिक के निर्देशों का पालन करने में सक्षम होता है वहीं यदि रोबोट किसी मुसीबत में भी फंस जाएगा तब भी वह पहले और दूसरे नियम का उल्लंघन नहीं करेगा रोबोट खतरनाक और आक्रामक बिल्कुल नहीं होता बावजूद इसके रोबोटिक्स इंजीनियरों ने अच्छे और महंगे रोबोट में खुद को बचाने की अनेक डिवाइस शामिल कर दी है।
          एक बात और रोबोट को मोक्ष नहीं मिलता । उनका शरीर नश्वर है, इसी पृथ्वी पर कचरे में बदल जाता है ।  रोबोट की मांसपेशियां झूलती या गलती भी नहीं ,  रोबोट का शरीर सड़ता भी नहीं , रोबोट निष्पाप होते हैं और यही वह मशीनी मानव है जिनकी सांस पर ईश्वर का नहीं , मनुष्य का कब्जा होता है । रोबोट की सांस रोबोट के लोहे के शरीर में बंद की गई ऊर्जा से चलती है । इसी से रोबोट के दैहिक कंप्यूटर काम करते हैं ।  उसमें लगी इलेक्ट्रिक मोटर में गति आती है । रोबोट के पैर पहियों के ऊपर रखे होते हैं । रोबोट पैर उठाकर नहीं चलता बल्कि पहियों पर सरक -सरककर चलता है इसीलिए ऊबड़ - खाबड़ जगह पर रोबोट काम करने से इंकार कर देते हैं। दो - नहीं चार पहियों पर टीका यह मशीनी मानव उन सभी कामों को जल्दी और पूरी ईमानदारी और समझदारी के साथ करने में सक्षम होता है जिन कामों को देखकर इंसान के हाथ पाव आंख कान सब कुछ देख समझ कर भी सही सही करने में अक्सर चूक जाते हैं । 
       आज के इस मशीनी युग में इंसान खुद एक मशीन की तरह ही काम करने को मजबूर हो गया है । शायद यही वजह है कि दुनिया में लगातार मशीनी मानव यानी रोबोट की मांग बढ़ती चली जा रही है । पूरी दुनिया में 11 लाख के आसपास इंडस्ट्रियल रोबोट मौजूद है जिन्होंने जीते जी बेरोजगारों की एक लंबी फौज खड़ी करके उत्पादन के लगभग सभी कार्यों को अपने हाथ में ले लिया है । 10 लाख के आसपास ऐसे रोबोट मौजूद हैं जो घरों में आज्ञाकारी नौकरों की भूमिका निभा रहे हैं। ये घरेलू रोबोट अपने मालिकों के लिए चाय कॉफी बनाते हैं , उनके कपड़े धोते हैं , बगीचे की देखभाल करते हैं , मनोरंजन करते हैं । आश्चर्य इस बात का है कि पश्चिमी देशों में घरेलू रोबोट की मांग में लगातार इज़ाफ़ा होता जा रहा है , रोबोट एक ऐसे दिमाग में तब्दील हो गया है जिससे अब एक देश दूसरे देश पर निगरानी रखने का काम ले रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक एक साल में कंपनियों ने 3 गुना ज्यादा रोबोट बेचे। परिवर्तन इतना हो चुका है कि रोबोट अब नौकरों की हैसियत से निकलकर  सेना अधिकारी की तरह दूसरे देशों की खुफियांगिरी में लगा दिया गया है। रोबोट इतने सक्षम कर दिए गए हैं कि वह अब अपने दुश्मन की आहट को ही पहचान कर खबरदार और तैयार हो जाते हैं । रोबोटिक्स विज्ञान ने इतनी ऊंचाई पा ली है कि वह 26000 फीट की ऊँचाई से पृथ्वी के बदलते परिदृश्य पर नजर रखे हुए हैं और बाकायदा अपना रोबोटोफाइटर जहाज भी उड़ा रहा है । आज अंतरिक्ष में किसी जीवित मानव को भेजने की कोई आवश्यकता नहीं रह गई है। जानकारियां बटोरने और विभिन्न ग्रहों पर रहकर अथवा समुद्र के नीचे जाकर शोध करने के सिलसिले में आज रोबोट पूरी तरह से सक्षम है । चंद्रमा पर तो रोबोट बाकायदा घूमकर वापस लौट आया । नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि अंतरिक्ष और समुद्र की अतल गहराइयों में शोध कार्य रोबोट के कारण ही जोखिम से बाहर हो गया है ।  
       चिकित्सा के क्षेत्र में रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी कमाल कर रही है । रोबोट के जरिए आज अमेरिका में बैठे डॉक्टर वहीं अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर गतिविधियों को देखते हुए भारत में ऑपरेशन थिएटर में मौजूद किसी का ऑपरेशन पूरे आत्मविश्वास के साथ कर सकते हैं । आलोचकों का कहना है कि ऑपरेशन के मामले में सर्जन ही बेहतर है लेकिन रोबोट आज जिस तरह से काम कर रहे हैं ,उसे भी नकारा नहीं जा सकता , फिर सर्जन की तुलना में रोबोट सस्ते सर्जन है और यह तकलीफ भी कम देते हैं इसलिए प्रगति के बावजूद रोबोट के सामने ऐसी बहुत - सी चुनौतियां हैं । पहियों पर चलने के कारण रोबोट का संतुलन 10 में से 2 बार गड़बड़ा जाता है और ये  लिए दिए औंधे मुंह चारों खाने चित गिर जाते हैं । इन्हें फ्रेक्चर भी बहुत होता है । अगर ये गिर गए तो इन्हें उठाने और इनके चोटीले अंगों की मरम्मत में काफी वक्त लग जाता है। कभी-कभी रोबोट के भीतर चलने वाली मोटर रोबोट की गतिविधियों में बाधा पहुंच आती है। भारी -भरकम रोबोट अपने मूड और संरचना को लेकर आज भी बेहद नाजुक है । शर्त के ममुताबिक ये बता दे कि रोबोट  कभी नांच नहीं पाते । गिर जाते हैं तोआंगन के टेढ़े होने की शिकायत करने लगते हैं। रोबोट के हाथ ही करिश्मा करते हैं और इसी पर शोध कार्य चल रहा है । रोबोट ने हमारी सोच को बदल दिया है । मानवता का सम्मान करते हुए मनुष्य अगर इन मशीनी दोस्तों के साथ रहना और उनका उपयोग करना सीख लेगा तो रोबोट एक दिन हमारी सभ्यता सँवारने प्रमुख भूमिका निभायंगे।


**अजामिल

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