बाल कविता/अजामिल
मैं डब्बू का जूता हूं...
चरर मरर चर चूँ चूँ चूँ ,
मैं डब्बू का जूता हूं..
मेरी शान निराली है,
भले ही सूरत काली है,
काले गोरे में क्या रखा,
चाल मेरी मतवाली है।
मुझे नज़र न लगने पाए,
मैं अनमोल अकूता हूँ।...
मैं डब्बू का जूता हूँ।
नहीं ज़रा मैं घबराऊँ,
जहां ले चलो , मैं जाऊं,
आंधी -पानी, कीचड़ -तूफाँ,
पैरों तले कुचल आऊं।
घूम घूम कर देखी दुनिया,
नहीं मैं अब तक टूटा हूँ।...
नहीं किसी से डरता हूँ,
सबके मन को हरता हूँ,
मेरा खाना काली पालिश,
ज़रा लगा दो चलता हूँ।
चमक रहा हूँ चम चम चम,
मत कहना मैं झूठा हूँ।...
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