Social Icons

Pages

Wednesday, March 23, 2016

कन्हैय्या की पिटाई : एक चिंतन

व्यंग / अजामिल

कन्हैया पीटा गया । बेकायदा पीटा गया । उस सुरक्षा व्यवस्था में पीटा गया जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता , इसका दावा किया जाता है । उसे पीटनेवाले गुंडे काले कोट में छुप कर आये थे । काला कोट कौन जानता था क़ि एक दिन असलियत छुपाने के काम आएगा । खाकी पहनकर लूट डकैती डालने की तो परम्परा है लेकिन काले कोट में छुपकर यह सब होना चिंता में डालनेवाला है । और भी ड्रेस कोड है . प्रतीक है । पीटनेवाले लाल गमछा बाँध सकते थे . भगवा पहना जा सकता था , तिरंगा दुपट्टा गले में डाला जा सकता था . खादी का कुरता भी चल जाता लेकिन पीटनेवालो ने अपनी पहचान छुपाने के लिए काला कोट चुना ।  कन्हैया पिटा , सबने देखा पर उसकी पिटाई का कोई प्रमाण नहीं था । ऐसी पिटाई किस काम की । न खून निकला, न नीले पीले निशाण पड़े । मेडिकल कराना यूजलेस हो गया । सीसीटीवी कैमरे भी संदेह के घेरे आ गए । कन्हैया को पीटनेवाले काले कोटों ने ठीक से नहीं पीटा । काले कोट शर्मिदा है । कन्हैया पिटा इसका सबूत नहीं है । क़ानून को सबूत चाहिए । कन्हैया पर आरोप है क़ि वह देशद्रोही है । ये क्या होता है ? कन्हैया ने पड़ोसी देश की जय जयकार की । अफजल गुरु को अपना गुरु बताया । हम लोकतंत्र में सबको सब कुछ बोलने की अनुमति नहीं दे सकते । सरकार मानती है । उस कैबनिट मंत्री का क्या होगा जो कह रहा था क़ि कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है । ये देशद्रोह नहीं । सरकार में रहकर घपले घोटाले करना देशद्रोह नहीं । देश।बेचने का षड्यंत्र करना देशद्रोह नहीं । कन्हैया ने जो किया वह देशद्रोह है । काले कोट के लिए कोई सजा नहीं । कन्हैया को सजा दिलवाने की पुरज़ोर कोशिश चल रही है ।

--अजामिल

No comments:

Post a Comment