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Wednesday, October 31, 2012

बाल-कहानी पिद्दी का शोरबा

पिद्दी का शोरबा
अजामिल

बात ना तो बहुत पुरानी है और ना आज की ही, मगर कुछ बात तो है ही। एक बार शेर सिंह ने अपना हैट पहना, छड़ी उठाई और दोपहर का खाना खाने के लिए मिस्टर लोमड़ के पंच सितारा होटल में पहुंच गए। उन्हे बहुत भूख लगी थी और उनकी इच्छा हो रही थी, कि कुछ जोरदार चीजें खाई जाएं। शेर सिंह धीरे-धीरे चलते हुए छड़ी हिलाते एक मेज पर जाकर बैठ गए। थोड़ी देर बाद एक खरगोश वेटर उनके पास आया और उसने शेर सिंह से पूछा, ‘‘मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं’’?
शेर सिंह ने उससे कहा, ‘‘तुम मेरे लिए पिद्दी का शोरबा लाओ। और ध्यान रखना, शोरबा गाढ़ा और स्वादिस्ट होना चाहिए।’’
खरगोश वेटर शेर सिंह का आॅर्डर लेकर चला गया और थोड़ी ही देर में एक बड़े से प्याले में पिद्दी का शोरबा लेकर वापस आ गया। शोरबा गरम था और उस पर फलों और मेवों के टुकड़े तैर रहे थे। शेर सिंह के मुंह में पानी आ गया। उसने शोरबे को झुककर सूंघा और बोला, ‘‘सचमुच बहुत अच्छा है। इसकी खुशबू भी अच्छी है।’’
खरगोश वेटर ने मुस्कुरा कर कहा, ‘‘यस सर, यह सचमुच बहुत ही अच्छा है, आप इसे पीकर तो देखिए, आपको उसका स्वाद हमेंशा याद रहेगा।’’
शेर सिंह ने अगल-बगल देखा और फिर अचानक बोला, ‘‘इसका स्वाद कितना ही अच्छा क्यों ना हो, मैं तुम्हारे लाख कहने पर भी इसे नहीं पी सकता।’’
‘‘ऐसी क्या बात है सर। आप इसे पीकर तो देखिए, मुझे विश्वास है ऐसा पिद्दी का शोरबा आपने पहले कभी नहीं चखा होगा।’’
‘‘हो सकता है तुम्हारी बात सही हो, लेकिन मैं इस शोरबे को नहीं पी सकता।’’ शेर सिंह ने कहा।
‘‘क्यों सर, आप विश्वास कीजिए ये शोरबा बहुत अच्छा बना है। इसे पीने से आपका हाजमा दुरुस्त रहेगा। सर क्या ये बहुत गरम है, इसीलिए आप इसे नहीं पी रहे हैं।’’
‘‘मैं कुछ नहीं जानता। मैं केवल इतना जानता हूं कि मैं इसे नहीं पी सकता।’’
शेर सिंह कहीं गुस्से में ना आ जाए, यह सोचकर खरगोश वेटर तेजी से भागा और जाकर सीनियर वेटर भालू को बुला लाया। वेटर भालू ने आते ही शेर सिंह से पूंछा, ‘‘क्या बात है सर, आप पिद्दी का शोरबा क्यों नहीं पी रहे हैं ?’’
‘‘मैंने कहा ना कि मैं इसे नहीं पी सकता हूं।’’ शेर सिंह ने कहा।
‘‘क्या इसमें मिर्च बहुत ज्यादा है ? हो सकता है सर। बहुत बार रसोईये भूल से ज्यादा मिर्च डाल देते हैं। मैं आपके लिए दूसरा बनावा देता हूं।’’
‘‘मैं ये सब कुछ नहीं जानता’’ शेर सिंह ने कहा।
‘‘मैं सिर्फ इतना जनता हूं कि मैं इस शोरबे को नहीं पी सकता।’’
वेटर खरगोश की तरह वेटर भालू की भी शेर सिंह के आगे एक ना चली। वह भी घबराकर जूनियर मैनेजर सियार के पास गया और उसे सारी बातें बतायीं। सियार शेर सिंह के गुस्से से परिचित था। वह लपकता हुआ शेर सिंह के पास आया और बोला, ‘‘सर आखिर क्या हो गया जो आप ये पिद्दी का शोरबा नहीं पी रहें ? क्या इसमें कोई खराबी है, जिसकी वजह से आप इसका स्वाद लेने से डर रहे हैं ? अगर ऐसा है तो हमें सचमुच बहुत अफसोस है।’’
‘‘मिस्टर मैनेजर, आपकी ये सारी बातें मेरे बिल्कुल समझ में नहीं आ रही हैं। रही इस पिद्दी के शोरबे की बात तो मैं आपसे पहले ही कह चुका हूं कि अच्छा होने के बावजूद मैं इसे नहीं पी सकता।’’
‘‘ठीक है सर, मैं समझ गया कि इस पिद्दी के शोरबे में जरुर कुछ गड़बड़ी है। मैं सीनियर रसोईये जेब्रा को इसकी सूचना देता हूं। आखिर आप हमारे मेहमान हैं। आपकी शिकायत पर ध्यान देना हमारा फर्ज है।’’
सियार ने सीनियर रसोईये जेब्रा को जाकर पूरी बात बताई। वह पलक झपकते शेर सिंह के पास पहुंच गया। उसके सामने होटल की इज्जत दांव पर लगी थी। जाते ही उसने शेर सिंह से कहा, ‘‘मुझे बहुत अफसोस है सर कि यह पिद्दी का शोरबा आपकी पसंद का नहीं बना है। क्या आप मुझे बता सकते हैं कि इसमें खराबी क्या है ? क्या आपने इसमें कोई मक्खी या काॅकरोच पड़ा हुआ देख लिया है ?’’
‘‘नहीं ऐसी कोई बात नहीं है।’’
‘‘तब ऐसी क्या बात है सर, इसमें नमक ज्यादा है ?’’ जेब्रा ने डरते हुए पूंछा।
‘‘मैं कुछ नहीं जानता। मैं तुम लोगों से सौ बार कह चुका हूं कि मैं...इ..स..पि..द्..दी...के...शो...र...बे को नहीं पी सकता हूं।’’
‘‘ठीक है सर। मैं आपकी भावनाओं की कद्र करता हूं। मैं अभी जाकर रसोईये को पकड़ता हूं और उसी से पूंछूगा कि आखि उसने इस पिद्दी के शोरबे में क्या गड़बड़ी की है जो यह आपको पसंद नहीं आ रहा है। अगर उसकी गलती होगी तो हम उसे निकाल बाहर करेंगे।’’
जेब्रा भागता हुआ रसोईये हिरन के पास गया और उसे सारी बातें बताईं हिरन ने कहा कि यह तो सचमुच बड़े अफसोस की बात है। जंगल का राजा अगर होटल से बिना पिद्दी का शोरबा खाए वापस लौट गया तो इससे होटल की बड़ी बदनामी होगी। उसने जेब्रा से कहा, ‘‘आप फिक्र मत कीजिए मैं खुद जाकर देखता हूं कि पिद्दी के शोरबे में क्या खराबी है।’’
‘‘गुड मार्निंग सर।’’ हिरन ने शेर सिंह के पास पहुंच कर कहा, ‘‘सर मुझे अभी-अभी पता चला है कि आप किसी वजह से पिद्दी का शोरबा नहीं पी रहे हैं।’’
‘‘हां नहीं पी रहा हूं क्यांेकि मैं इसे पी नहीं सकता।’’ शेर सिंह ने कहा।
‘‘आखिर क्यों सर, हम अपने होटल में हमेंशा ताजे पिद्दियों को शोरबा बनवाते हैं। आप इस पीकर तो देखिए। हम इसमें चालीस मसाले इस्तेमाल करते हैं, जिससे शोरबा काफी स्वादिस्ट बनता है। और जब इसे आपके पास लाया गया था तब ये गरम भी था।’’
‘‘फिर वही बात, मैं आप लोगों से कितनी बार कह चुका हूं कि मैं इसे नहीं पी सकता।’’
‘‘ठीेक है सर, मैं इसे ले जाता हूं और आपके लिए दूसरा बनवाकर भेजता हूं।’’ यह कहकर हिरन ने शोरबे के प्याले को उठाने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया शेर सिंह चिल्ला पड़ा, ‘‘ये क्या कर रहे हो ? तुम पिद्दी का शोरबा कहां उठा ले जा रहे हो। मैं इसे पीना चाहता हूं लेकिन मैं इसे पी नहीं सकता क्योंकि आपने इसे पीने के लिए अभी तक मुझे चम्मच नहीं दिया है।’’ शेर सिंह की बात सुनकर वेटर से लेकर रसोईया तक ठहाका लगाकर हंस पड़े। उन्हे अपनी भूल का एहसास हुआ और खुशी हुई कि पिद्दी का शोरबा स्वादिस्ट बना था। वेटर खरगोश ने तुरंत शेर सिंह को चम्मच लाकर दिया। वे मुस्कुराते हुए पिद्दी का शोरबा पीने लगे।

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