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Monday, July 30, 2012

कविता/ एक

जीवन भर के लिए नहीं होता जीवन
-अजामिल

जीवन भर के लिए नहीं होता जीवन
हर पल बदलती हैं चीज़े
सिर्फ पाखंड टिका रहता है जीवन भर

काम चलाऊ भागीदारी से
बहुत धीरे-धीरे मुक्त होते हैं हम
जैसे मुक्त होती है हवा
मुक्त होती है नदी
बस एक प्रवाह शेष रह जाता है-
अनंत की ओर बढते हुए
सच्ची प्रतिबद्धता के साथ...

जीवन भर के लिए नहीं होता जीवन
कोई भी जीवन

बड़े से बड़े वृक्ष की जड़े
रौशनी में मर जाती हैं...

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