वह झरने की तरह खिलखिलाती है
गमकती है सुगन्धित हवा की तरह
पी.टी. ऊषा की तरह भागती है- घर के एक कोने
से दूसरे कोने तक - इच्छाओं की रेस में
जीतने के लिए – वह कभी हारती नहीं.
फुदकती है चिड़िया की तरह
चुगती है चिड़िया की तरह
नखरेबाजो के नखरों पर भरी है उसके नखरे.
दुनिया जबकि लालचियों से भरी है,
मतलब साधने की कला में सिद्दहस्त हो रहे हैं
साधू सन्यासी और लम्पट
वह अपने हाँ और न के बचकाने फैसलों में
बात – बात में दरकिनार कर रही है –
पाने और खोने की इच्छाएँ.
वह नाच रही है – नचा रही है घर भर को
वह गा रही है – साथ –साथ गुनगुना रहे हैं सब
वह अनकहा कह रही है –
दुनिया की सबसे मीठी जबान में
उसने माँ कहा
पिता को पुकारा उसने
दादू दादी कह कर झूम उठी वह
उसने नानी कहा
नन्ना कहा उसने
डब्बा कह दिया मामा को
गिन्नी और छोटू – गिन्नी और छोटू ही रहे
उसके बड़प्पन के आगे
मासी – माँ -सी हो गयी उसकी
बुआ को पुकार कर उसे बहुत मज़ा आया
उसने आँखों में प्यार पढ़ा उसने शुरू कर दिए हैं
रिश्ते बनाने
वह अपने पैरों पर खड़ी हो रही है
वह धीरे – धीरे बड़ी हो रही है
वह खिलौना है, गुड़िया है, चॉकलेट है
रंगीन पेन्सिल है स्लेट है
वह शहदीला चुम्बन है
प्यार है – दुलार है – आलिंगन है
गुनगुन गोद में हो तो
कुछ नहीं चाहिए हमें !
** गुनगुन के दूसरे जन्मदिन (20 जून) पर विशेष।
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