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Sunday, June 12, 2011

पचासवें जन्मदिन पर !

दरअसल अब शुरु होगा वार्षिक उत्यव
वे सब गये हैं आरम्भ का चरित्र खोजने
एक बड़ी प्रस्तुति की तैयारी चल रही है -
मंच की बनावट को बरकरार रखने के लिए
ठोंकी जा रही हैं कीलें

ऊनी कपड़ों के बक्स से
निकाले जा रहे हैं आदमी
धूप के साथ पिघल रही है -
नेफ्थलीन की गंध
मुर्गे को काटने से पहले
आंका जा रहा है उसका वजन
ताबूत पर गढ़े जा रहे हैं - आश्वासनी
शिल्पका के नमूने
मुर्दों के कानों में सुनाई जा रही है -
राजनीतिक गीता

वे मोमबत्तियाँ लेकर खड़े हो गये हैं
तिरंगे के नीचे - मौन
एक दूसरे को संदेह से घूरते हुए

प्रार्थनाएं चल रही हैं
हवा में अनुवाद हो रहा है हमारा समय
कब्र खोदी जा रही है मुसलसल

फादर
इस आदमी के चेहरे को तो देखो - प्लीज
बंद करो ये कुरान बाइबिल गीता
वक्त की बर्फ के नीचे दबा हुआ
पचास साल से छटपटा रहा है ये मुर्दा

इसके जूते चोरी चले गये हैं
इसकी ओपी विदेशी बैंकों में गिरवी रखी हुई है
इसका इतिहास किसी कैप्यूल में सुरक्ष्ति नहीं
चीनी साफ करने के काम गया है

फादर! दसे कब्र के नीचे उतारने से पहले
इसका पचासवां जन्मदिन मना लो
जला दो एक और मोमबत्ती
खोल दो इसकी मुट्ठियाँ
ये मरने के लिए बार-बार जन्मेगा इसी तरह
यस फादर यस

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