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Thursday, June 23, 2016

बी पॉज़िटिव

उन्होंने कहा - बी पॉजिटिव...पोजिटिव सोचो ,पोजिटिव ओढो बिछाओ , पोजिटिव नाचो गाओ ,पोजिटिव रहो पोजिटिव कहो धारा कोई भी हो पोजिटिव बहो,हर बात पोजिटिव हर लात पोजिटिव,..
बी पोजिटिव आज के दौर का लोकप्रिय मुहावरा है जो हमें सहनशीलता की इस हद तक ले गया है क़ि हम सिर्फ सहने के आदि हो चले हैं। पोजिटिव होने और दिखने की इस जिद के चलते हमने गलत बात का विरोध करना बंद नहीं,तो कम ज़रूर कर दिया है।अब हमें सब तरफ हरियाली दिखाई देती है। गलत में भी सही तलाशने की आदत होती जा रही है। स्वार्थियों की जमात हमें पोजिटिव बना रही है और खुद पोजिटिव सोच की मुखाफत कर रही है।
     पोजिटिव बिना निगेटिव के नहीं हो सकता ।बिना निगेटिव के पोजिटिव नकली होगा ,जेराक्स होगा ,ओरिजिनल कभी नहीं होगा। पोजिटिव पैदा ही निगेटिव से होता है। निगेटिव ओरिजिनल है। पोजिटिव थोपा हुआ सच है। पोजिटिव को निगेटिव शार्प करता है। पोजिटिव जितना है हमेशा उतना ही रहेगा। निगेटिव का विस्तार होता है। पोजिटिव का विस्तार करने पर ग्रेंस फट जाते हैं,डिटेल मर जाते है। इसलिए निगेटिव पोजिटिव का जन्मदाता है। पोजिटिव निगेटिव का पूरक है,विरोधी नहीं।निगेटिव से पोजिटिव बनता है। पोजिटिव परिवर्तन शील है।निगेटिव वही रहता है। म्न्युप्लेशन से भी ओरिजिनल निगेटिव नहीं बदला जा सकता,कापी की जा सकती है। बी पोजिटिव लोकलुभावन मुहावरा है। ये बी निगेटिव से उर्जा पाकर पैदा होता है इसलिए यथासमय बी निगेटिव होने में भी कोई हर्ज़ नहीं है।

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