सोचो मत,बस कर डालो
मै भी तो देखूं तुम्हारे मन के आंगन में
कोई फूल कैसे खिलता है...
ख़ामोशी के समुन्दर में
मन की कश्ती पर सवार होकर
हम कहीं भी जा सकते हैं...
बस तुम हाथ मत छोड़ना प्रिय...
अजामिल
मै भी तो देखूं तुम्हारे मन के आंगन में
कोई फूल कैसे खिलता है...
ख़ामोशी के समुन्दर में
मन की कश्ती पर सवार होकर
हम कहीं भी जा सकते हैं...
बस तुम हाथ मत छोड़ना प्रिय...
अजामिल
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