इसके पहले कि अँधेरा और घिरे
रंग बदलें वनस्पतियां
पेड़ों की छायाएं दफ्न हो जाएँ
पृथ्वी के गर्भ में
नीले आसमान की सरहदों से
बाहर चली जाएँ चीलें
आओ हम बाहें फैलाएं और प्यार की बारिश में
भीगे जी भर कर
प्यार की बारिश
एक हंसी – अस्थिर दिमाग पर जैस कांपती लहरे
प्यार की बारिश
भीगे मौसम में गर्वित होता कोई फूल
प्यार की बारिश
जैसे चाँदनी खिडकी पर
प्यार की बारिश
बाहों के तकिये पर सिर टिका कर लेटे सपने
प्यार की बारिश
होठों पर जैसे ओस की इबारत
प्यार की बारिश में
कोई नहीं भूलता किसी को – भूलना चाह कर भी
देह में कहीं न कहीं बहती ही रहती है
तटों से टकराती कोई अंतहीन नदी
ज्यादा सुखद है प्यार की यह बारिश
आजीवन इक्षा के विरुद्ध
ह्रदय के गहन जंगलों में मूसलाधार।
– अजामिल
-
No comments:
Post a Comment