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Wednesday, November 2, 2011

जीवन भर के लिये !

जीवनभर के लिये नहीं होता जीवन!
हर पल बदलती हैं चीजें
सिर्फ पाखंड टिका रहता है जीवनभर

काम-चलाऊ भागीदारी से
बहुत धीरे-धीरे मुक्त होते हैं हम
जैसे मुक्त होती है- हवा
मुक्त होती है- नदी

एक प्रवाह शेष रह जाता है- अनंत की ओर बढ़ते हुए
सच्ची प्रतिबद्धता के साथ......
जीवनभर के लिये नहीं होता जीवन !
कोई भी जीवन।

बड़े-से-बड़े वृक्ष की जड़ें- रोशनी में मर जाती हैं.......

1 comment:

  1. जीवन भर के लिए नहीं होता कोई भी जीवन....
    कितने ही चिन्तन के लिए भूमि तैयार करती पंक्ति!

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